दांता ठाकुर मदनसिंह की जयंती आज
दांता ठाकुर साहब स्वर्गीय श्री मदन सिंह जी की जयंती पर शत् शत् नमन।।
दांतारामगढ़ (सीकर), 9 अप्रेल। सीकर जिले के दांतारामगढ़ के दांता ग्राम मे आपका जन्म कछवाहा वंश की शाखा गिरधर दासोत शेखावत मे विजयपुरा के ठाकुर श्री गंगासिंहजी के यहां माता सुरज कँवर की कोख से रामनवमी 9 अप्रैल सन् 1919 को हुआ। आप का जन्म नाम हमीरसिंह था पर बाल्यकाल मे ही उनकी बुआसा स्नेहवश इनको मदनसिंह कहा करती थी। तभी से इनको इसी नाम से पुकारा जाने लगा। आपने मेयो कॉलेज अजमेर मे शिक्षा प्राप्त की शिक्षा के साथ साथ आप खेलकूद मे भी बहुत होशियार थे। आप ने सन् 1934 मे कॉलेज मे ट्राफी जीतीl आप ने शिक्षा प्राप्त के तत्पश्चात आपने फौज सवाईमानसिंह गार्ड मे द्वितीय लेफ्टिनेंट का पद संभाला दुसरे महायुद्ध मे आप फौज के साथ मे तीन वर्ष तक रहे विदेश से लौटने के बाद आप का विवाह ठाकुर ओनारसिंह जी कचोलियो जो स्वर्गीय श्री भैरोंसिंह जी शेखावत के फुफाश्री थे उनकी सुपुत्री नान्द कँवर के साथ हुआ। आप के पांच पुत्र ओमेंद्र सिंह, दिलीप सिंह, जितेन्द्र सिंह, करण सिंह, राजेंद्र सिंह व तीन पुत्रीया बाईसा चन्द्रामाणी, बाईसा मोहीनी, कुमारी बाईसा प्रभावती कुमारी हुई। बाद मे आप परमानन्द जी बाबा की सेवा मे सत्संग करने लगे। इसी दौरान 2 जुलाई रविवार सन् 1944 को आपके पिताश्री इस लोक से प्रयाण कर गए। 14 जुलाई सन् 1944 को दांता मे आपका राज्याभिषेक सम्पन्न हुआ। 14 अगस्त 1947 की मध्यरात्री की समाप्ती पर भारत की स्वाधीनता की घोषणा की गई तब तो आप सार्वजनिक क्षेत्र मे पहले की अपेक्षा अधिक रूचि लेने लगे श्री पटेल जी ने आप को दिल्ली बुलाया तथा राम राज्य सभा छोङने की बात कही लेकिन आप दृढ रहे। जोधपुर के महाराजा हनुमंत सिंह की प्रेरणा से रामराज्य परिषद का गठन किया। एवं सन् 1952 मे खंडेला विधानसभा से चुनाव लङा और मात्र 36 मतो से हार गए। उन्ही दिनो सायर कुंवरी बाईसा जो बालब्रमचारी थे उन को उङील चारणवास से लाकर अपने माला वाले महल को करणीकोट मंदिर बना दिया और माला के निचे की पांच सो बीघा जमीन दान कर दी मंदिर के लिए। इस के कुछ ही महिने बाद चमत्कारी परमहंस बाबा परमानन्द जी ने दांता मे माघ शुक्ला पूर्णिमा की मध्यरात्री समाधि ली थी। 24 फरवरी 1953 की उस रात्री मे रातभर दांता मे भजन कीर्तन हुए और सुबह दांता ठाकुर मदनसिंह व गांव के करीब पांच सो लोग बाबा को उनके पैतृक गांव लोसल लेकर गए। सन् 1962 मे जब भारत चीन युद्ध चल रहा था हिन्दी चीनी भाई भाई कहकर चीन ने पीठ मे जब खंजर घोंपा था उसे पूरा देश आहत था। युद्ध के दौरान ही तत्कालीन रक्षामंत्री वी के कृष्ण मेनन 27 अक्टूबर सन् 1963 को राजस्थान की राजधानी जयपुर आए थे रामनिवास बाग मे मेनन की सभा चल रही थी तभी ठाकुर मदनसिंह जी मंच पर आए और मेनन को उस जमाने में एक लाख एक हजार रुपये और एक सोने की मूठ की तलवार भेंट की। इसके साथ ही सभा मे तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी देशभक्ति के गगनभेदी नारे गुंज उठे। इसी सभा के दौरान ठाकुर साहब ने घोषणा की कि मैं अपने सौलह वर्षीय पुत्र ओमेंद्र सिंह को भी मातृभूमि की रक्षार्थ प्राण न्यौछावर करने के लिए अर्पित करता हूं। राष्ट्र सुरक्षा कोष मे आर्थिक सहायता देने वाले प्रदेश के पहले और पुत्र अर्पित करने वाले एकमात्र व्यक्ति थे बीबीसी लंदन ने भी इस कार्य की सराहना की गई। वे अपने नाम के अनुरूप ही दानवीरता के धनी थे। दया, उदारता तथा जनता के प्रति आत्मय भाव उनका स्वभाव था। उनका देहावसान 23 दिसंबर , 2001 को 82 वर्ष की आयु में हुआ। उन्होंने दांता पर 3 वर्ष तक शासन किया। आज वो दीप बुझ चुका है। उनका सूर्य अस्त हो गया है। लेकिन फिर भी उनके द्वारा फैलाया गया यश व कीर्ति का प्रकाश आज भी कायम है। उस दीप मे त्याग की बत्ती व सेवा का घी जलता था। आंधी के थपेड़े भी उसे नही बुझा सके, वह योद्धा जीवनभर लङता रहा। उसने अपना सबकुछ अपने ग्राम के विकास के लिए लुटा दिया। वह कर्मवीर अपने कर्म से कभी विमुख नही हुआ। वह मसीहा जिसने प्राकृतिक विपदा (बाढ़) मे 21अगस्त सन् 1968 मे अपना सबकुछ दांव पर लगाकर एक सच्चे राजा की तरह अपनी प्रजा की रक्षा की। सादा जीवन उच्च विचार ही इस महान् विभूति के आभूषण थे। दांतारामगढ़ विधानसभा के तीन बार विधायक रहने का गौरव हासिल किया था। एवं पुरे देश प्रदेश मे जब भूस्वामी आंदोलन चलाया गया तब दांता ठाकुर मदनसिंह जी ने ही आंदोलन का सफल संचालन किया था। अंत 23 दिसंबर सन् 2001 को दांता ठाकुर मदनसिंह जी इस दुनिया को अलविदा कह गए। इनकी शवयात्रा मे बङे बङे नेतागण एंव दांता क्षेत्र के हजारो लोगो ने उन्हे भावभीनी श्रद्धांजलि दी। पुरा गांव शोक की लहर मे खो गया जो दूसरो के लिए जीते है वे कभी मरते नही अमर हो जाते है। ठाकुर साहब आज भी समस्त दांता ग्राम वासियो के दिलो में जीवित है।
समस्त दांता ग्राम उनका सदा आभारी रहेगा। दांता ठाकुर साहब स्वर्गीय श्री मदन सिंह जी की जयंती पर शत् शत् नमन।।
लेख - लिखा सिंह सैनी (दांता)
Madan singh ji ke pita ganga singh ji Surera ke the jo danta god gaye
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