Mother and motherland are greater than heaven! I LOVE MY INDIA.Know not what good I performed in my previous birth and know not what yoga I might have performed before, I have been blessed to be born in this heavenly land. Not sure what precious flowers I worshipped with I have been blessed to be born to this mother land.I sincerely pray god to be in India untill my death and to be born in India in future births.
Sunday, October 24, 2010
राजऋषि ठाकुर श्री मदनसिंह जी,दांता
ठाकुर गंगा सिंह दांता के ज्येष्ठ पुत्र केशरी सिंह के निसंतान निधन हो जाने के बाद ठाकुर गंगासिंहजी की मृत्यु के बाद उनके द्वतीय पुत्र मदनसिंह जी दांता ठिकाने की गद्दी के स्वामी बने |
मदन सिंह जी का जन्म चेत्र शुक्ल नवमी वि.स.१९७७ में ठाकुर गंगासिंह जी की ठकुरानी सूरजकँवर की कोख से हुआ | आपने मेयो कालेज अजमेर से डिप्लोमा तक शिक्षा प्राप्त की |
ठाकुर मदनसिंह दांता जयपुर स्टेट की सवाई मानसिंह गार्ड में कम्पनी कमांडर (कप्तान) थे | तथा उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में वीरता और साहस के साथ शत्रु पर आक्रमण कर विजय पाई |
जागीर समाप्ति तक आप दांता ठिकाने के शासक रहे वे दांता के अपने पूर्वज अमरसिंह के सोलहवीं पीढ़ी पर थे | स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अनेक राजनैतिक दलों का गठन हुआ | स्वामी करपात्री जी महाराज द्वारा संस्थापित अखिल भारतीय राम राज्य परिषद की राजस्थान प्रदेश शाखा के अध्यक्ष पद पर ठाकुर मदनसिंह दांता को निर्वाचित किया गया | सन १९५२ के प्रथम लोकसभा चुनाव में सीकर जिले के कांग्रेस की रीढ़ समझे जाने वाले कांग्रेसी उम्मीदवार कमलनयन बजाज को हराकर अपने ही जिले में राम राज्य परिषद के उम्मीदवार नंदलाल शास्त्री को विजयी बनाने का श्रेय ठाकुर मदनसिंह दांता को ही जाता है |
सन १९५५-५६ में राजस्थान के भू-स्वामियों ने कांग्रेस सरकार के विरोध में अपनी मांगों को लेकर एक बहुत बड़ा सत्याग्रह-आन्दोलन किया था | इस भू-स्वामी आन्दोलन के अध्यक्ष ठाकुर मदनसिंह दांता ही थे | ठाकुर मदनसिंह दांता ने कुंवर रघुवीरसिंह जावली,शिवचरणसिंह निम्बेहेड़ा,तनसिंह बाड़मेर,कुंवर आयुवानसिंह हुडील,सौभाग्यसिंह भगतपुरा,सवाईसिंह धमोरा व अन्य क्षत्रिय समाज के समर्पित,कर्मठ कार्यकर्ताओं के सहयोग से भू-स्वामी संघ के सत्याग्रह आन्दोलन का संचालन किया | इस आन्दोलन में आप एक साहसी व निडर व्यक्तित्व वाले राजपूत नेता के रूप में उभरे | आपको राजऋषि की उपाधि से विभूषित किया गया उस समय आप एक प्रभावशाली लोकप्रिय नेता के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके थे | आपने रामगढ तहसील से तीन बार विधानसभा का चुनाव जीतकर अपनी लोकप्रियता का परिचय दिया | १९७७ की जनता पार्टी की लहर में भी आपने कांग्रेस के नारायणसिंह और जनता पार्टी के गोपालसिंह राणोली को करारी मात देते हुए आप निर्दलीय विधायक के रूप में दांता-रामगढ से विधानसभा में पहुंचे | दांता रामगढ विधानसभा क्षेत्र से तीन बार कांग्रेस पार्टी को हारने वाले आप एक मात्र व्यक्ति रहे | आपने ग्राम दुधवा को लुटने वाले डाकुओं का निडरतापूर्वक पीछा किया | डाकुओं की गोलीबारी के बावजूद आपने उनसे अकेले ही लोहा लेते हुए उनके ऊँटों को मारकर डकैतों को पकड़ लिया था |
ठाकुर साहब की उदारता व देशप्रेम भी काबिले तारीफ था कोई भी जरुरत मंद गरीब उनके यहाँ से कभी खाली हाथ नहीं लौटता था ,रास्ते चलते भी उन्हें कोई जरुरत मंद मिल जाता तो तो वे अपने पास जो कुछ होता दे देते थे |
सन १९६२ में भारत चीन युद्ध हुआ जो सर्वविदित है | उस समय भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री श्री कृष्ण मेनन ने जयपुर के रामनिवास बाग़ में एक जनसभा कर देश के लिए रक्षा कोष में दान देने की अपील की थी |
उस समय दांतापति ठाकुर श्री मदनसिंह ने अपने ठिकाने की मुवावजे की एक लाख की राशी दान स्वरुप रक्षा कोष में दे दी थी और अपने जयेष्ट पुत्र श्री ओमेन्द्रसिंह को व अपने खानदान की सुनहरी मूठ की तलवार भी रक्षा कोष में अर्पित किया था |
एक लाख रोकड़ दिया ,कनक मूठ कृपान |
सुत ओमेन्द्र को दिया , देश हितार्थ दान ||
ठाकुर साहब का विवाह कचोल्या( किशनगढ़ )के महाराज ओनाड़सिंह जी की पुत्री जोधी जी नन्दकँवर के साथ संपन्न हुआ था, जिनकी कोख से आपको पांच पुत्र रत्न प्राप्त हुए
१- ओमेन्द्रसिंह २- दिलीपसिंह ३- जीतेन्द्रसिंह ४-करणसिंह ५- राजेंद्रसिंह
एक शख्स जो पंडित नेहरू के इस प्रस्ताव के आगे भी नहीं झुका-
" आप भू स्वामी आंदोलन के जरिये सिर्फ कुछ भू स्वामियों की बात कर रहे हैं...मेरे साथ आइए ...कई जागीरें आपके कदमों में होंगी."
Some sayings of Thakur Saheb:-
Tell ur Nehru , vo jab apna janeu khoonti pe taank dega, tab main bhee talwar bahar chod dunga!! what a great person!!
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