राज माता गायत्री देवी का रक्त तिलक
मार्च १९६७ के आमचुनाव क बाद जब कांग्रेस का स्पष्ट बहुमत नही मिला फिर भी उसके नेता मोहन लाल सुखाडिया को तत्कालीन राज्यपाल डा. संपूर्णानंद ने सरकार बनाने क लिए आमंत्रित कर लिया तब से जयपुर राजनितिक संघर्ष और आन्दोलन का प्रांगण बन गया.. लगभग रोजाना शहर में कंही न कंही सभा होती या रैली निकलती... सात मार्च, १९६७ को हुए गोलीकांड से दो - तीन दिन पूर्व माणक चौक बड़ी चौपड़ पर विपक्ष की एक भीड़ भरी आमसभा हुई, अध्यक्षता जयपुर की पूर्व सांसद एवं महारानी गायत्री देवी ने की... सभा में भैरो सिंह शेखावत , सतिश चन्द्र अग्रवाल, महाराव लक्ष्मण सिंह, प्रो. केदार ठाकुर, मदन सिंह दांता सहित दर्जनों नेताओं ने संबोधित किया... भाषण जोशीले, उग्र एवं कांग्रेस के पूर्व मुख्य मंत्री सुखाड़िय के खिलाफ थे.... जन सभा का वातावरण भी गर्म एवं जोशीला था ... जब ठाकुर मदन सिंह दांता ने अपना भाषण सम्पात किया और मंच के एकदम आगे आकर अपनी कमर में लटकी म्यान से तलवार निकाल ली तो पूरी सभा में सन्नाटा छा गया... उन्होंने नंगी तलवार से अपना अंगूठा चीरा और उससे बहते खून से महारानी गायत्री देवी के भाल पर रक्त तिलक कर संघर्ष का आवाहन कर दिया... माणक चौक पुलिस थाने में बैठे जिला कलेक्टर विष्णुदत्त शर्मा, सिटी मजिस्ट्रेट, डी जी आई , एस पी , व अन्य पुलिस अधिकारी चौकन्ने हो गए... शायद उसी दिन उन्हें लगा की सत्ता का यह संघर्ष खूनी हो सकता है... इसलिए उन्होंने जयपुर यूपी की पिएससी और आरएससी की अतिरिक्त बटालियन को सुरक्षा एवम जाब्ते के लिए बुलाने का मानस बनाया....
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